वायरल फीवर के लक्षण और बचने के आयुर्वेदिक उपचार

वायरल फीवर के लक्षण और बचने के आयुर्वेदिक उपचार

सेहतराग टीम

आजकल ऋतु परिवर्तन की वजह से वायरल फीवर खूब हो रहा है। वायरल फीवर यानी मौसमी बुखार। ये बुखार मौसम में आए बदलाव की वजह से होता है। जैसा की नाम से पता चला है, वायरल बुखार किसी न किसी वायरस की वजह से होता है। इस बुखार में शरीर बीमारियों से नहीं लड़ पाता है। क्योंकि यह बुखार हमारे प्रतिरक्षा तंत्र को कमजोर बना देता है। वायरल फीवर बहुत तेजी से एक इंसान से दूसरे इंसान तक पहुंच जाता है जिससे यह बुखार एक साथ कई लोगों को हो जाता है। वायरल फीवर दूसरे बुखारों की तरह होता है लेकिन समय पर ध्यान न देने से यह बुखार खतरनाक रूप ले सकता है। आज हम आपको बता रहे हैं वायरल बुखार से बचने के आयुर्वेदिक उपाय।

वायरल फीवर के मुख्य लक्षण:

  • खांसी होना
  • गला दर्द करना
  • सिर दर्द होना
  • थकान होना
  • हाथ और पैरों के जोड़ों का कमजोर होना और #उनमें दर्द होना
  • उल्टी और दस्त होना।
  • बदन में दर्द।
  • आंखों का लाल होना।
  • माथे का बहुत तेज गर्म होना आदि।

यदि इन लक्षणों में से कोई सा भी लक्षण आपको लगता है तो समझें इंसान को वायरल फीवर हो गया है। बड़ों के साथ यह वायरल फीवर बच्चों में भी तेजी से फैलता है।

वायल फीवर से बचने के आयुर्वेदिक उपचार:

हल्दी और सौंठ यानी अदरक का पाउडर-

अदरक में एंटी ऑक्सिडेंट गुण बुखार को ठीक करते हैं। एक चम्मच काली मिर्च का चूर्ण एक छोटी चम्मच हल्दी का चूर्ण और एक चम्मच सौंठ यानि अदरक का पाउडर। एक कप पानी। और हल्की सी चीनी।

इन सभी को किसी बर्तन में डालकर तब तक उबालें जब तक यह सूखकर आधा न रह जाए। इसके बाद इस पानी को थोड़ा ठंडा करके रोगी को पिलाएं। इससे वायरल फीवर से आराम मिलता है।

तुलसी का इस्तेमाल-

तुलसी में एंटीबायोटिक गुण होते हैं जिससे शरीर के अंदर के वायरस खत्म होते हैं

कैसे करें तुलसी का प्रयोग-

वायरल बुखार में तुलसी एक गुणकारी औषधि है। एक चम्मच लौंग के चूर्ण और दस से पंद्रह तुलसी के ताजे पत्तों को एक लीटर पानी में मिला लें और इसे इतना उबालें जब तक यह सूखकर आधा न रह जाए। इसके बाद इसे छानें और ठंडा करके हर एक घंटे में वायरल फीवर से ग्रसित इंसान को पिलायें।

धनिया-

धनिया सेहत का धनी होता है। इसलिए यह वायरल बुखार जैसे कई रोगों को खत्म करता है। वायरल फीवर के बुखार को खत्म करने के लिए धनिया चाय बहुत ही असर कारक औषधि का काम करती है।

धनिया की चाय बनाने की विधि-

एक बड़ी चम्मच धनिया के दानों की लें और इसे एक गिलास या कप पानी में डालकर उबालें। फिर इसमें थोड़ी सी मात्रा में दूध और कम मात्रा में चीनी डालकर इसे उबालें। अब गरम-गरम चाय को रोगी को पिलाएं। इस कारगर घरेलू नुस्खे से वायर फीवर में आराम मिलेगा।

सोया, काली मिर्च और कलौंजी-

सोया, काली मिर्च और कलौंजी का प्रयोग सोया शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। जिससे वायरल बुखार कम होने के साथ.साथ पूरी तरह से उतर जाता है।

एक छोटी चम्मच काली मिर्च का चूर्ण एक बड़ी चम्मच सोया के ताजे दाने एक चुटकी दालचीनी का चूर्ण और आधा चम्मच कलौंजी को एक कप पानी में डालकर पंद्रह मिनट तक उबालें। जब यह अच्छी तरह से उबल जाए तब इसे साफ कपड़े से छानकर किसी बर्तन में रख दें। और थोड़ा ठंडा होने पर वायरल फीवर से ग्रसित इंसान को देते रहें।

मेथी का पानी दें-

आपके किचन में मेथी तो होती ही है। मेथी में वायरल बुखार को रोकने की क्षमता होती है। मेथी के दानों को एक कप में भरकर इसे रात भर के लिए भिगों लें। और सुबह के समय इसे छानकर रोगी को हर एक घंटे में पिलाते रहें।

नींबू का रस और शहद-

नींबू का रस और शहद भी वायल फीवर के असर को कम करते हैं। आप रोगी को शहद और नींबू का रस का सेवन भी करा सकते हैं।

चावल-

चावल स्टार्च पुराने समय से आम तौर पर चावल स्टार्च (कांजी या पीछ) इस्तेमाल होता है। यह पारंपरिक उपाय शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाकर शरीर को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। वायरल बुखार से पीडि़त बच्चों और बड़े लोगों के लिए यह विशेष रूप से एक प्राकृतिक पौष्टिक पेय माना जाता है। चावल स्टार्च बनाने के लिए एक भाग चावल और आधा भाग पानी डालकर चावल के आधा पकने तक पकाएं। इसके बाद पानी को निथार कर अलग कर लें। इसमें स्वाद के अनुसार नमक मिलाकर गर्म-गर्म पीएं। यह वायरल बुखार में बहुत लाभकारी है।

मुनक्का, अजवायन, छोटी इलायची, तुलसी पत्ता और सौंफ का काढ़ा-

वायरल फीवर या अन्य बुखार होने पर मुनक्का, अजवायन, छोटी इलायची और तुलसी पत्ता, सौंफ को नमक और चीनी मिलाकर बनाया काढ़ा रोजाना तीन-चार पीना उपयोगी है। छोटे बच्चों के लिए तो खास तौर पर यह नानी-दादी का एक कारगर नुस्खा है।

यदि उपर लिखे गए आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खों से रोगी में कोई असर न दिख रहा हो तो यह समस्या गंभीर हो सकती है। इसलिए बिना किसी देर के रोगी को चिकित्सक के पास ले जाएं।

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